नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के नियमों में बदलाव करते हुए कहा कि अगर दोनों पक्ष राजी हो तो उन्हें तलाक लेने के लिए 6 महीने का इंतजार नहीं करना होगा। बता दें कि हिन्दू मैरिज एक्ट के मुताबिक तलाक के लिए आवेदन करने पर पति पत्नी को 6 महीने का समय देता था जिसमें वे अपने फैसले पर एक दोबारा सोचते थे। इसे 'कूलिंग पीरियड' कहा जाता था। कूलिंग पीरियड के बाद भी अगर पति पत्नी राजी नहीं होते थे तो उन दोनों के बीच तलाक हो जाता था।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाक के लिए दोनों पक्षों को 6 महीने तक इंतजार करना अनिवार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अगर पति और पत्नी, दोनों ने एक साथ न रहने का फैसला ले लिया है और उन दोनों के बीच बच्चों की कस्टडी को लेकर सहमति बन गई तो दोनों अदालत से 6 महीने की कूलिंग पीरियड को खत्म करने का गुहार लगा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी आठ साल से एक दूसरे से अलग रह रहे एक दंपत्ति की याचिका पर दी। दंपत्ति ने कोर्ट में दलील दी वे कई सालों से एक दूसरे से अलग रहे हैं। ऐसे में उन दोनों की साथ आने की कोई गुंजाईश नहीं है। इसलिए उन्हें 6 महीने के कूलिंग पीरियड से ढील दी जाए। कोर्ट ने इसी याचिका पर यह फैसला सुनाया।