नई दिल्ली : तमिलनाडु में जलीकट्टू के समर्थन में जारी विरोध प्रदर्शन के बीच तमिलनाडु सरकार के शुक्रवार को एक-दो दिन में अध्यादेश लाए जाने के तमिलनाडु सरकार के ऐलान के बाद अब इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट भी एक सप्ताह तक फैसला न सुनाने पर राजी हो गया है। केंद्र सरकार की ने सुप्रीम कोर्ट से यह की थी। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत से अपील की थी कि वह इस मामले में कम से कम एक सप्ताह तक अपना फैसला रोक लें, क्योंकि धार्मिक भावनाओं को लेकर राज्य में प्रदर्शन हो रहे हैं, ऐसे में कानून-व्यवस्था को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। केंद्र ने कहा था कि वह राज्य सरकार के साथ मिलकर मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र का आग्रह मान लिया।
कोर्ट में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने केंद्र सरकार का पक्ष रखा। माना जा रहा है कि कोर्ट ने एक हफ्ते का समय देकर मुद्दे को अदालत के बाहर सुलझाने का रास्ता साफ किया है। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘केंद्र और राज्य सरकार दोनों कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। दोनों मिलकर कोई ऐसा रास्ता निकालेंगे जिससे लोगों के सांस्कृतिक अधिकार की सुरक्षा हो सके।’
इसके पहले मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों से अपील की कि वे अपने घरों को लौट जाएं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर जल्द ही ऑर्डिनेंस लाएगी। पनीरसेल्वम ने कहा कि इसका ड्राफ्ट गृह मंत्रालय के पास भेजा गया है और एक-दो दिन में इसे जारी कर दिया जाएगा।
शुक्रवार शाम में तमिलनाडु कैबिनेट की बैठक हो सकती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में यह समला लंबित है और पहले अदालत ने इस पर बैन लगा दिया था। मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम ने कहा कि इस बारे में संशोधन को लेकर संविधान विशेषज्ञों से बात की गई है। ड्राफ्ट को लेकर केंद्र के साथ बात करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को लगाया गया है। राज्य में जलीकट्टू की अनुमति देने के लिए अध्यादेश पर जल्द ही फैसला हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार इसके लिए ड्राफ्ट प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजेगी। गृह मंत्रालय इसे राष्ट्रपति के पास भेजेगा और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे राज्य के राज्यपाल को भेजा जाएगा।